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उरांव जनजाति प्रतिनिधिमंडल राष्‍ट्रपति से मिला, कुंडुख को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

दिल्‍ली/रांची: झारखंड का एक प्रतिनिधिमंडल भारत की राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर कुड़ुख (उरांव) भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने एवं इसके संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में मार्गदर्शन एवं कार्यादेश जारी करने का अनुरोध किया। राष्‍ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि देश में करीब 40 लाख उरांव जनजाति के लोग बसते हैं। जिसमें झारखण्ड, छतीसगढ़, ओड़िसा, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, मध्यप्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र आदि राज्यों में निवासरत हैं।
ज्ञापन में 10 सुत्री मांगें रखी गयीं जो इस प्रकार है: 
1. कुडुख (उराँव) भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाए। इसके लिए झारखण्ड सरकार द्वारा वर्ष 2003 में अनुशंसा किया गया है।
2. उराँव (कुडुख) भाषा की लिपि तोलोंग सिकि है। इस लिपि को झारखण्ड सरकार ने वर्ष 2003 में राज्य स्तरीय पठन-पाठन के लिए मान्यता प्रदान किया गया है तथा वर्ष 2018 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कुडुख़ भाषा को राजकीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है और आरंभिक स्तर पर प्रशिक्षण कार्य कराया जा रहा है। (छाया प्रति संलग्न)।
3. झारखण्ड सरकार द्वारा संताली, उराँव (कुडुख), मुण्डारी, हो एवं खड़िया आदिवासी भाषा को वर्ष 2011 में द्वितीय राजकीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। (छाया प्रति संलग्न)।
4. झारखण्ड में कुँडुख़ भाषा विषय की मैट्रिक परीक्षा सामाजिक गैरसरकारी विद्यालयों में वर्ष 2009 से तोलोंग सिकि (लिपि) में लिखी जा रही है। (छाया प्रति संलग्न)। 
5. उराँव (कुडुख) समाज में पढाई-लिखाई के लिए हिन्दी, अंग्रेजी तथा तीसरी भाषा विषय के रूप में मातृभाषा कुडुख़ रखा जा रहा है और सामाजिक स्तर पर 35-40 स्कूल, सरकारी मदद के बिना ही चलाये जा रहे हैं। सरकार, हमें मदद करे। NEP 2020 लगने से आदिवासी समाज लाभांवित होगा। (छा.प्र.सं.)
6. इस संबंध में आगे की पढ़ाई के लिए समाज द्वारा राँची विश्वविद्यालय, राँची के माननीय कुलपति महोदय को दिनांक 02.03.2024 को कुँडुख भाषा की तोलोंग सिकि (लिपि) को पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने तथा पठन-पाठन कराये जाने हेतु ज्ञापन सौंपा गया था, परन्तु माननीय कुलपति द्वारा समाज की मांग को अबतक स्वीकार नहीं किया गया है। (छाया प्रति संलग्न)।
7. इस संबंध में समाज द्वारा दिनांक 15.04.2025 को माननीय मुख्यमंत्री झारखण्ड सरकार के कार्यालय में कुँडुख भाषा की तोलोंग सिकि (लिपि) को पाठ्यक्रम में शामिल कराने तथा पठन-पाठन कराये जाने हेतु ज्ञापन सौंपा गया था, परन्तु इस संबंध में अबतक किसी तरह की कारवाई सरकारी स्तर पर नहीं हो पाई है। (छाया प्रति संलग्न)।
8. कुँडुख़ भाषा, संस्कृति एवं लिपि बचाने के लिए उरांव समाज अपनी पारम्परिक सामाजिक पाठशाला, धुमकुड़िया को सुदृढ़ करना चाहते हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार की सरकारी योजना में यह शामिल हो। (छाया प्रति संलग्न)।
9. वर्तमान में उराँव समाज द्वारा कुँडुख भाषा की लिपि, तोलोंग सिकि (लिपि) का UNICODE विकसित कराये जाने हेतु सूचना प्राद्यौगिकी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली से पत्राचार किया गया है, जो अबतक लम्बित है।
10. उराँव (कुडुख) भाषा एवं तोलोड सिकि (लिपि) के विकास तथा उराँव समाज द्वारा किए गए सामाजिक प्रयास को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिनांक 31.12.2023 को 108वें मन की बात में सराहना भी की गयी है।

ज्ञापन में अनुरोध किया गया कि उपरोक्त के संबंध में सभी उराँव (कुडुख़) समाज के लोगों का विनम्र निवेदन है कि महामहिम राष्ट्रपति महोदया के आशीर्वाद से कुडुख़ (उराँव) भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाए तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली के देखरेख में झारखण्ड के विश्वविद्यालयों एवं झारखण्ड सरकार के संबंधित विभाग को उराँव (कुडुख) भाषा, संस्कृति एवं लिपि (तोलोंग सिकि) के संरक्षण तथा संवर्द्धन हेतु आवश्यक विभागीय कार्य-निर्देश जारी कराने की कृपा की जाए। इसके लिए महामहिम राष्ट्रपति महोदया का हम सभी उराँव समाज के लोग सदा आभारी रहेंगे। यह जानकारी तोलोंग सिकि के रचयिता डॉ नारायण उरांव ने दी है। 

ज्ञापन का पीडीएफ नीचे भी पढ़ सकते हैं। 
 

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