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गुमला में 'डहुड़ा कुद्दना हंका' का आयोजन

दिनांक - 05/01/2025, दिन- रविवार को स्थान- पड़हा पिण्डा, छोटका सैन्दा, टूकू टोली, सिसई, गुमला में 'डहुड़ा कुद्दना हंका' का आयोजन हुआ। जिसका विषय - कुंड़ख़र पद्दा पंच्चा, पड़हा पंच्चा, बेल पंच्चा और सरकारी न्यायालय व्यवस्था रहा। तीन संगी पड़हा (9+6+7 = 22 पड़हा ) की प्रतिनिधियों की उपस्थिति देखी गई। मुख्य वक्ताओं में डॉ नारायण उरांव "सैंदा", डॉ नारायण भगत , लोहोर मइन उरांव, प्रो० रामचंद्र उरांव, आदि ने इस विशेष बैठक में संबोधित किया। ग्रामसभा पड़हा व्यवस्था को सशक्त करने के लिए संबंधित पुस्तकें भेंट देकर प्रेरित किया गया। प्रत्येक गांव में धुमकुड़िया को पुनर्जीवित कर अपनी विशिष्ट कुँड़ुख भाष

TSF Tribal App में आनलाइन निबंधन हेतु प्रशिक्षण 

दिनांक 10/11/2024, दिन रविवार को अद्दी अखड़ा संस्था, रांची और टाटा स्टील फाउंडेशन, जमशेदपुर के संयुक्त तत्वावधान में एजेरना FC बेड़ा प्रोजेक्ट के सभी शिक्षकों के लिए कार्यशाला आयोजित की गई। यह प्रशिक्षण उपस्थित समन्वयकों द्वारा आशा आदिवासी कुँड़ुख स्कूल बलसोता, भण्डरा, लोहरदगा में दी गई। जिसमें TSF Tribal App पर डाटा डालने और अपलोड करने तक की क्रमबद्ध प्रक्रिया बताई गई। जियोटैग और बच्चों के ऑनलाइन नामांकन से जुड़े जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए। कुँड़ुख भाषा एवं तोलोंग सिकि लिपि की कक्षाओं का संचालन व्यवस्था ऑफलाइन मोड से बदलकर ऑनलाइन मोड में किया जाना है। सभी उपस्थित शिक्षकों ऑनलाइन प्रक्रिया स

बिरसा नगर, जमशेदपुर में बाबा कार्तिक उरांव का 100 वॉं  जयंती समारोह सम्पन्न

दिनांक 29-10-2024 को आदिवासी उराँव समाज समिति, बिरसा नगर जोन न० 6 में पंखराज साहेब बाबा कार्तिक उरांव का 100 वॉं जयंती समारोह मनाया गया। ऐसा समारोह बाबा कार्तिक उरांव जयंती के रूप में बिरसानगर में प्रत्येक वर्ष  टाटा स्टील फाउंडेशन के सहयोग से जमशेदपुर के कुड़ुख़ क्लास की शिक्षिकाओं, विद्यार्थियों और बिरसा नगर के उरांव समाज के सदस्यों द्वारा किया जाता है। इस वर्ष भी समिति के सदस्यों ने जमशेदपुर के विभिन्न आदिवासी समुदायों के लोगों को आमंत्रित किया। इसके लिए, कुड़ुख क्लास के विद्यार्थियों ने 25-10-2024 को बिरसा नगर जोन न० 6 के घरों में जाकर  लोगों को नेवता बांटा। उसके बाद दिनांक 27-10-2024 को

टाटा स्टील फाउण्डेशन, जमशेदपुर द्वारा संचालित ‘‘एजेरना बेड़ा प्रोजेक्ट’’ प्रशिक्षण सम्पन्न

टाटा स्टील फाउण्डेशन, जमशेदपुर एवं अद्दी कुड़ुख़ चाःला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, रांची, संस्था के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 21.10.2024 से 25.10.2024 तक‘‘एजेरना बेड़ा प्रोजेक्ट’’(कुँड़ुख़ भाषा तोलोंग सिकि/लिपि प्रशिक्षण कार्यक्रम) का द्वितीय कार्यशाला, ट्राइबल कल्चर सेंटर (Tribal Culture Centre) सोनारी, जमशेदपुर में 05 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न हुआ। इस कार्यशाला में भाषा शिक्षण ईकाई से 34 केन्द्र शिक्षक, 05 म्यूजिक सेन्टर के केन्द्र शिक्षक, 08 संयोजक, 01 एरिया कोर्डिनेटर तथा 01 कार्यालय सहायक उपस्थित थे। कार्यशाला में प्रशिक्षक के रूप में साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सदस्य श्री महा

कुंड़ुख भाषा - तोलोंग सिकि लिपि पर राष्‍ट्रीय सेमिनार का दूसरा दिन

दिनांक 02 एवं 03 अक्टुवर 2024 को कुड़ुख़ भाषा की दशा एवं दिशा विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार, कुड़ुख़ भाषा एवं सांस्कृतिक पुनरूत्थान केन्द, बम्हनी  गुमला में सम्पन्न हुआ। इस सेमिनार में दिनांक 03 अक्टुवर 2024  किये गये  प्रस्तुति में से कुड़ख़ भाषा तोलोंग सिकि और उरांव समाज की भूमिका विषय किए गए प्रस्तुति का पीडीएफ आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है -

राष्‍ट्रीय सेमिनार

बम्हनी, गुमला में कुड़ुख़ भाषा की दशा एवं दिशा विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार शुरू

दिनांक- 02 अक्टूबर 2024, दिन- बुधवार को गुमला जिले के कुँड़ुख भाषा एवं सांस्कृतिक पुनरूत्थान केन्द्र, बम्हनी में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार की शुरुआत हुई। प्रथम दिन की सेमिनार की अध्यक्षता कुँड़ुख विभागाध्यक्ष, डॉ नारायण भगत द्वारा किया गया। मंच संचालन कमल उरांव द्वारा किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के पुर्व कुलपति डॉ रविंद्र भगत उपस्थित होकर संबोधित किए। कार्यक्रम के आरंभ में मंच पर कई दिग्गज जनों ने आसन ग्रहण किया और उरांव/कुँड़ुख भाषा की महत्व एवं विकास पर विचार साझा किए। इनमें साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सदस्य श्री महादेव टोप्पो, पुर्व मंत्री श्र

कुँड़ुख भाषा और पुथी जतरा से साहित्य की विकास की अधिक संभावना: महादेव टोप्पो

दिनांक 28/09/2024 को सुबह 10.00 बजे से 2.00 बजे तक विश्वविद्यालय कुँड़ुख विभाग, रांची विश्वविद्यालय, रांची के परिसर में ‘कुँड़ुख व्याकरणिक शब्दावली एवं शब्द रचना’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई। इस कार्यशाला में कुँड़ुख शब्द एवं व्याकरण को लेकर गहन चर्चा की गई। बैठक में में यह निर्णय लिया गया कि भविष्य में व्याकरण लेखन कार्य मानकीकरण एवं संशोधन को ध्यान में रखकर पुस्तक प्रकाशन की अपील किया करेंगे। वहीं अद्दी अखड़ा संस्था की ओर से कुँड़ुख विभाग को कुँड़ुख पुस्तकें एवं त्रैमासिक पत्रिकाएं भेंट की गई। प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए विशेष कुँड़ुख व्याकरण न होना की समस्या सामने आई। डॉ ना

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में  उल्लेखनीय कार्य करने वाले झारखंड के तीन आदिवासी हस्तियों को राष्ट्रीय सम्मान

देश और दुनिया में प्राकृतिक और सामाजिक पर्यावरण के बढ़ते संकट पर विचार करने और इसके समाधान के  उपायों को साझा करने के लिए रांची प्रेस क्लब  में 29 सितंबर 2024 को सावित्रीबाई सेवा फाउंडेशन पुणे के मदद से पर्यावरण संरक्षण के मसीहा अनुपम मिश्र के याद में गोदावरी देवी फाउंडेशन, रांची की ओर से पर्यावरण संरक्षण से  जुड़े देश भर  के  30 हस्तियों को  सम्मानित किया गया । जिसमें पारंपरिक स्वाशासन पड़हा व्यवस्था लोहरदगा  के संयोजक श्री विनोद भगत एवं देवान श्री संजीव  भगत  और आदिवासी पत्रकार बरखा लकड़ा  को राष्ट्रीय पर्यावरण सेवी सम्मान से सम्मानित किया गया । 

स्‍व. डॉ निर्मल मिंज की पत्‍नी परक्‍लेता मेरियन मिंज नहीं रहीं!

जीईएल के प्रथम बिशम स्‍व. डॉ निर्मल मिंज की पत्‍नी परक्‍लेता मेरियन मिंज नहीं रहीं। 15 सितंबर 2024, रविवार को संध्‍या साढे छह बजे उनका निधन हो गया। अंतिम संस्‍कार आज दिनांक 16 सितंबर 2024 को दोपहर 3 बजे जीईएल चर्च कब्रिस्‍तान (डिबडीह, रांची) में आयोजित किया जाएगा।
अंतिम संस्कार कार्यक्रम को ज़ूम मीटिंग के माध्यम से ऑनलाइन प्रसारित किया जाएगा। यदि आप इसमें शामिल होना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके सीधे अंतिम संस्कार में शामिल हो सकते हैं।
https://us06web.zoom.us/j/7703122023?pwd=4llfnuAXOkeQHgyAda74PwTagmzP8f.1

बसिया के स्कुली शिक्षकों ने तोलोंग सिकि के प्रभावी शिक्षण पर लिया प्रशिक्षण

दिनांक- 08/09/2024, दिन- रविवार को बसिया के स्कुली शिक्षकों ने अद्दी कुँडुख चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा, संस्था के चिरौंदी स्थित कार्यालय में आकर एक दिवसीय प्रशिक्षण ली। यह प्रशिक्षण प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए विशेष कुँड़ुख भाषा और तोलोंग सिकि लिपि पर हूई। अन्य विषय जैसे गणित, बाल कविताएं (चिंचो डण्डी), धुमकुड़िया का पाठ्यक्रम, भाषा विज्ञान, घड़ी की विपरीत दिशा का कुँड़ुख़ कबिले में महत्व आदि पर भी चर्चा हुई। डॉ नारायण उरांव की उपस्थिति में कार्यशाला हूई जिसका उद्देश्य आदिवासियत को बढ़ाने, कुँड़ुख भाषा- संस्कृति को बचाने और स्कुलों में तोलोंग सिकि लिपि से पढ़ाई-लिखाई करना है