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मेघालयः लंबित वेतन के लिए हज़ारों स्कूल शिक्षकों ने प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड भेजा

मेघालय के हजारों स्कूली शिक्षकों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पोस्टकार्ड भेजकर केंद्र सरकार के समग्र शिक्षा अभियान (एसएसएए) मिशन के तहत शिक्षकों का वेतन जारी करने में हस्तक्षेप करने की मांग की। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षकों का वेतन पिछले पांच महीने से लंबित है।

स्कूली शिक्षकों के संगठन का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा उनका लंबित वेतन जारी करने में कथित देरी के विरोध में यह पोस्टकार्ड अभियान शुरू किया गया है।

खाप पंचायत न बने आदिवासी समाज

अपने बुनियादी मूल्यों के खिलाफ जाकर आदिवासी समाज अन्य जाति, धर्म या बिरादरी में विवाह करने वाली अपनी महिलाओं के प्रति क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने लगा है। इस प्रवृत्ति के पीछे कौन है? क्या हैं इसके कारण? नीतिशा खलखो इन सवालों को उठा रही हैं

आदिवासी महासम्‍मेलन 2020 : संविधान में आदिवासियों के लिए बने कानून को अमल में लाए सरकार

वाराणसी, जेएनएन :  आदिवासी महासम्‍मेलन उत्‍तर प्रदेश 2020 का आयोजन रविवार को वाराणसी में किया गया। इस दौरान अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.

आदिवासी समाज के इतिहास को दबाया गया

वाराणसी, दुद्धी(सोनभद्र): महारानी दुर्गावती स्मारक स्थल मल्देवा में रविवार को आदिवासी सम्मेलन एवं चिंतन शिविर का आयोजन हुआ। इसकी शुरुआत बावनगढ़ के देवी-देवता एवं आदिशक्ति बड़ादेव के पूजन से हुई। देव कुमार लिंगो ने पूजा अर्चना की।

हम हिंदू नहीं, आदिवासियों ने मांगा ‘आदिवासी धर्म’ का अधिकार

हम हिंदू नहीं हैं, हम भील और गोंड भी नहीं हैं। हम आदिवासी हैं। सरकार 2021 में होने वाली जनगणना में आदिवासी धर्म के लिए अलग कोड और कॉलम निर्धारित करे। यह मांग 25 फरवरी 2019 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एकजुट हुए आदिवासियों ने की। इस मौके पर बामसेफ के खिलाफ भी आवाज उठी

बीते 25 फरवरी 2019 को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर देश भर के आदिवासी समाज के लोग जुटे थे। वे नारा लगा रहे थे। वे मांग कर रहे थे कि “हम हिंदू नहीं, 2021 में होने वाले जनगणना में हमारे आदिवासी धर्म का अलग कोड और कॉलम हो।”

विकास के नाम पर आदिवासियों का विनाश होता आया है, हो रहा है और होगा

संविधान की पाँचवी अनुसूची तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये ऐतिहासिक समता निर्णय 1997, का राज्य सरकार तथा प्रशासनिक तंत्र द्वारा घोर उल्लंघन का आरोप लगाते हुये संविधान की पाँचवी अनुसूची के तहत् प्रशासित एवं नियंत्रित अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं संविधानिक सुरक्षा हेतु जमीन के अंतरण पर पूर्णतः रोक लगाने के की माँग करते हुये अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के तत्वाधान में पूर्वी सिंहभूम जिला अन्तर्गत पोटका एवं सरायकेला खरसांवा अन्तर्गत राजनगर से 165 कि0मी0 की पदयात्रा पूरी कर आदिवासी मूलवासियों ने डॉ0निर्मल मिंज की अध्यक्षता में राँची में धरना प्रदर्शन किया